Saturday, April 12, 2014

बातें हो रही थी जहां देश के विकास की....

संसदीय भाषा के स्तर में हो रही लगातार गिरावट पर :-

बातें हो रही थी जहां देश के विकास की तो अब वहाँ गालियों का दौर नया छाया है,
जातियों के समीकरणों में हुए व्यस्त नेता जैसे ही चुनाव नज़दीक ज़रा आया है,
बिजली-सड़क-पानी सब भूलभाल गए, दंगा और क्षेत्रवाद मुद्दआ बनाया है,
फेकू, शहजादा, दिग्गी, खुजली है शब्द जिन्हें राजनेताओं ने शब्दकोष में सजाया है...!!!

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