Saturday, April 12, 2014

जोड़िये तुकांत और कवि बन जाइये...

कविता में भावशून्यता और तुकबंदी पर वाह वाही लूटने की कोशिश के विरोध पर.....

जोड़िये तुकांत और कवि बन जाइये के छंद लिख दीजिये या गीत फरमाइए,

व्याकरण भाव दोनों तेल लेने जाएं कोई पकडे तो 'है ये अतुकांत' बतलाइए,
बोल दीजिये के "कोई दावा ही नहीं है मेरा ! मैंने कब कहा के मैं कवि हूँ या मोर हूँ?"
सीखना तो पाप है जी पाप ये न कीजियेगा ऐसी दुर्घटना से खुद को बचाइए.....!!!

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