Tuesday, April 15, 2014

बड़े वो हो बारू जी....

जाते हुए आदरणीय प्रधानमंत्री जी के ऊपर अंतिम समय में आई पुस्तक पर :-

चलो हटो बड़े वो हो बारू जी के ऐसे कैसे मनमोहिनी पे इलज़ाम यूँ लगा दिया?
जिस सूरज-मुखी को कहना था सूर्य उसे बात बात में ही तोताराम सा बता दिया,
एक इतिहास का ही उनको सहारा था तो निर्दयी सोचा नहीं उसे भी हटा दिया,
नहीं, लटके नहीं वो, लटकी तो कांग्रेस हाय भोले-भाले बारू तुमने ये क्या किया?

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