Sunday, September 8, 2013

स्लीपर क्लास

                             "स्लीपर क्लास"
“पापा, इस बार सेकण्ड ए.सी से चलेंगे. पता है उसमें खाली दो सीट होती हैं एक लाइन में.” फ़ोन पर टिकेट बुकिंग एजेंट शर्मा जी से बात करते हुए पिताजी से पिंकी ने फरमाइश की.

तभी पिंकी की माँ भी बोल पड़ी “हाँ, मुझे भी बड़ी ख्वाहिश है एक बार उस डब्बे में जाने की. तीन सीट वाले में तो ठीक से बैठा भी नहीं जाता. सब कुछ बीच वाली सीट के मालिक की इच्छा पर होता है”

“लेकिन दादी का क्या करेंगे? उनको लेकर हिल स्टेशन पर जाने का मतलब है कि मज़ा भी सज़ा बन जाए.” पिंकी ने कहा. पिताजी ने एक पल को सोचा फिर आईडिया आ ही गया. “मैं ऐसा करता हूँ, माँ को तब तक गाँव भेज देता हूँ, कुछ दिन ताज़ी हवा भी खा लेंगी और सबसे मिल भी लेंगी” (फ़ोन पर) : “शर्मा जी, पहले आप एक बनारस के लिए स्लीपर टिकेट देखिये, नाम लक्ष्मी देवी, उम्र ६८ साल.

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